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सफलता पाने के लिए नियमितता और अभ्यास की जरूरत होती है

वर्षा और चट्टान की एक बड़ी रोचक कहानी है। एक दिन पृथ्वी, हवा और वर्षा एक बड़ी चट्टान से बात कर रहे थे। चट्टान ने कहा,'तुम सब एक साथ मिल जाओ, तब भी मैं अधिक ताकतवर हूं।' शुरू में तो उन तीनों ने सहमति प्रकट की कि चट्टान बहुत मजबूत है, पर अचानक वर्षा ने कहा,'तुम मजबूत हो सकती हो, पर मैं तुमसे अधिक शक्तिशाली हूं।' दूसरे वर्षा पर हंसने लगे,'तुम चट्टान से अधिक शक्तिशाली कैसे हो सकती हो? तुम पानी की सिर्फ छोटी-छोटी बूंदें ही तो हो।'
वर्षा ने कहा,'अगर मैं चाहूं तो चट्टान में छेद कर सकती हूं।' हर कोई वर्षा पर हंसने लगा और सोचने लगा कि वर्षा को गलतफहमी है। 'बस इंतजार करो और देखो।'
वर्षा ने कहा। और फिर वर्षा होने लगी। छोटी-छोटी बूंदें लगातार चट्टान से टकराने लगीं। कई दिन गुजरे, पर कुछ नहीं हुआ।
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तुम चट्टान पर कई दिनों से बरस रही हो।' हवा ने कहा,'और कुछ नहीं हुआ है। चट्टान में कोई छेद नहीं बना है।' वर्षा ने कहा,'चिंता नहीं करो। कुछ समय ठहरो और देखो।' महीने गुजर गए और वर्षा चट्टान पर बरसती ही रही। अंत में, कई वर्ष बाद, हवा और पृथ्वी को एक चीख सुनाई दी। वे दौड़कर चट्टान के पास पहुंचीं।
'क्या हुआ?' उन्होंने पूछा। 'इन वर्षों में वर्षा लगातार इतनी हुई है कि मुझमें एक छेद बन गया है।' सचमुच, वर्षा की बूंदों ने चट्टान के अंदर एक छेद कर दिया था। 'तुमने ऐसा कैसे किया?' दूसरों ने वर्षा से पूछा। 'यह छेद चट्टान को हिंसक रूप से काट कर नहीं बनाया गया, बल्कि यह चट्टान पर मेरे लगातार, नियमित रूप से गिरने से बना है।' वर्षा ने कहा।

यह कहानी हमें सिखाती है कि अंतर में रूहानी तरक्की कैसे होती है। आंतरिक अनुभव अचानक कोशिश करने से प्राप्त नहीं होते। ये दिन-प्रतिदिन सहजता से की गई लगातार कोशिशों से प्राप्त होते हैं। नियम से की गई कोशिश से ही हम तरक्की करते हैं। जैसे एक कहावत है,'धीमे और लगातार कोशिश करने से जीत हासिल होती है।'

लोग अपने ध्यान-अभ्यास में आंतरिक अनुभव पाना चाहते हैं, पर उनमें से अधिकतर मुश्किल से ही ध्यान-अभ्यास में कोई समय देते हैं। जीवन में किसी भी चीज में सफलता के लिए नियमितता और अभ्यास की जरूरत होती है।

अगर हम सोचते हैं कि वर्ष में एक बार छह घंटे ध्यान-अभ्यास करने से हमें लक्ष्य प्राप्त हो जाएगा तो हम गलती पर हैं। जब हम प्रतिदिन कुछ समय ध्यान-अभ्यास में देंगे, तब कहीं जाकर हमें उसका सार्थक परिणाम परिलक्षित होगा। आओ, हम नियमित हो जाएं। आओ, हम रोजाना ध्यान-अभ्यास के लिए समय निकालें। तब नियमित वर्षा की तरह बूंद-बूंद करके, थोड़ा-थोड़ा करके, हम धीरे-धीरे अद्भुत ज्योति के संसार में प्रवेश कर जाएंगे।

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