**दारिद्र दहन शिव स्तोत्र**
एक अत्यंत प्रभावशाली स्तोत्र है, जो भगवान शिव की आराधना के लिए किया जाता है।
यह स्तोत्र भगवान शिव से दरिद्रता (गरीबी) को दूर करने की प्रार्थना के रूप में
गाया जाता है। यहाँ दारिद्र दहन शिव स्तोत्र का संपूर्ण पाठ, उसका हिंदी अनुवाद, और उसका महत्व प्रस्तुत है:
**दारिद्र दहन शिव स्तोत्र:**
**श्री गणेशाय नमः।**
**विनायकं गुरुम्भक्त्या सस्मर्य शिवपूर्वकम्।**
**दारिद्र दहनं स्तोत्रं प्रवक्ष्ये च शिवाज्ञया॥**
**1.**
त्रैलोक्यपूजितशिरः स्थो तावत्पादपङ्कजम्।
दानं दत्त्वा च विप्रेभ्यः शिवप्रीत्यै नमोऽस्तुते॥
जो त्रैलोक्य में पूजित हैं, उन शिव के चरण
कमलों में नमन है। भगवान शिव की प्रसन्नता के लिए ब्राह्मणों को दान देकर मैं उनकी
प्रार्थना करता हूँ।
यह श्लोक भक्त को शिव के प्रति श्रद्धा रखने और धर्म के अनुसार दान देने की
प्रेरणा देता है, जिससे भगवान शिव
की कृपा प्राप्त होती है।
त्रिलोक्यवन्द्यं त्रिपुरारिं ईशं महेश्वरं।
महादेवं महेशानं महाशिवं नमाम्यहम्॥
जो त्रिलोक में वंदनीय हैं, जो त्रिपुरासुर
के संहारक हैं, उन महेश्वर
महादेव को मैं नमस्कार करता हूँ।
इस श्लोक में भगवान शिव को त्रिलोक के पूजनीय और महादेव के रूप में वर्णन किया
गया है, जो समस्त ब्रह्मांड के
स्वामी हैं। यह श्लोक उनकी महिमा का बखान करता है।
नमो नित्याय शुद्धाय निर्गुणाय गुणात्मने।
कल्याणाय प्रशान्ताय त्रैलोक्यपतये नमः॥
नित्य, शुद्ध, निर्गुण और सर्वगुण संपन्न भगवान शिव को मेरा
नमन है। जो कल्याणकारी और शांतिप्रिय हैं, उन त्रैलोक्यपति को मेरा प्रणाम है।
यह श्लोक शिव की शाश्वतता, पवित्रता,
और उनके गुणों की स्तुति करता है। शिव की
निर्गुण और सगुण दोनों रूपों की महिमा का बखान है।
तस्य दर्शनमात्रेण विनाशयति पातकम्।
सर्वरोगहरं देवमश्वमेधं नमाम्यहम्॥
भगवान शिव के दर्शन मात्र से ही पापों का नाश हो जाता है। जो सभी रोगों को
हरने वाले हैं, उन देवता को मेरा
नमन है।
यह श्लोक भगवान शिव के दर्शन मात्र से होने वाले पवित्र और रोगमुक्त होने के
लाभ का वर्णन करता है। शिव के दर्शन से जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।
सर्वत्राज्ञापकं देवं शर्वाणं शशिशेखरम्।
गंगाधरं शूलधरं चन्द्रार्कविलचंदनम्॥
जो सर्वत्र शासक हैं, जिनका मस्तक
चंद्रमा से सुशोभित है, जो गंगा और
त्रिशूल को धारण करते हैं, उन्हें नमन है।
इस श्लोक में शिव के कई नामों और रूपों की स्तुति की गई है। यह उनकी
सर्वशक्तिमानता और सर्वत्र उपस्थिति का संकेत देता है।
ब्रह्मारुद्रादिदेवेशं शंकरं शान्तिदायकम्।
नमामि जगतां वन्द्यं वन्द्यं शंकरमीश्वरम्॥
जो ब्रह्मा, रुद्र और अन्य
देवताओं के भी देवता हैं, जो शांति के दाता
हैं, उन भगवान शंकर को मैं
नमस्कार करता हूँ। जो संपूर्ण जगत में वंदनीय हैं, उन ईश्वर को मेरा नमन है।
यह श्लोक शिव की शांति और उनकी जगत में वंदनीयता की महिमा को दर्शाता है। यह
बताता है कि शिव सभी देवताओं के भी देवता हैं और सबके पूजनीय हैं।
दारिद्र्यदहनं नाम्ना शिवनाम्नं महोत्तमम्।
यः पठेत्प्रातरुत्थाय स सर्वार्थफलप्रदः॥
इस स्तोत्र का नाम 'दारिद्र्यदहन'
है, जो शिव का महिमा वाला नाम है। जो व्यक्ति सुबह उठकर इसका पाठ करता है, उसे सभी प्रकार के लाभ और सिद्धियाँ प्राप्त
होती हैं।
इस श्लोक के माध्यम से यह बताया गया है कि दारिद्र्यदहन स्तोत्र का पाठ करने
से सभी प्रकार की इच्छाओं की पूर्ति होती है। यह स्तोत्र शिव की कृपा से जीवन में
सफलता और समृद्धि लाता है।
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