Sunday

जीवन में जो देते हैं वह अवश्य लौटता है

इस दुनिया में प्रत्येक व्यक्ति की यह इच्छा होती है कि सभी लोग उसकी प्रशंसा करें। उसके कार्य को सराहा जाए। लोग उससे मिलना एवं बात करना पसंद करें। यह विचार तो आता ही है कि मैं अपने आप में ऐसा क्या आकर्षण निर्मित करूं, जिससे लोग मेरी ओर खिंचे चले आएं। सार्वभौमिक संदर्भ में आकर्षण का नियम कहता है कि समानता से समानता आकर्षित होती है। इसका सरल शब्दों में अर्थ यह है कि आप जो देते हैं, वही आपको वापस मिलता है।
आपने कभी चुंबक को देखा होगा कि कैसे वो लोहे को अपनी और आकर्षित करता है और कैसे स्वयं लोहे की और आकर्षित हो जाता है। इसका कारण यह है कि उसके स्वाभाव में ही आकर्षण है। इसी प्रकार हम सबके भीतर भी ऐसा ही एक चुंबक है, और वो है विचार का चुंबक जो सदैव अपने ही जैसे विचारों को आकर्षित करता है।
हर विचार की एक फ्रिक्वेंसी होती है। जब आपके मन में विचार आते हैं तो वे ब्रह्मांड में पहुंचते हैं और चुंबक की तरह उसी फ्रिक्वेंसी वाली सारी चीजों को आकर्षित करते हैं। हर भेजी गयी चीजें स्रोत तक, यानी आप तक लौटकर आती हैं। अर्थात हम जो बोते हैं, वही काटते हैं। और उसी प्रकार हम जैसा भी सोचते हैं, वैसा ही पाते जाते हैं। एक सच्चा भक्त ईश्वर का नाम सोचता है तो उसे ईश्वर मिल जाता है। अर्थात फल हमारी सोच पर निर्भर करता है।
उसी तरह जैसे कि ओस की बूंद अगर सीप में गिरे तो मोती बन जाती है और यदि विषधर के मुंह में गिरे तो विष बन जाती है। कहने को तो वो बूंद एक ही है परंतु उसके प्रारब्ध भिन्न हैं। कारण, उसे आकर्षित करने वाले व उनका व्यवहार भिन्न है। इसलिए यह तो आप पर निर्भर है कि आपको भविष्य में विष चाहिए या अमृत। इसका तात्पर्य यह है कि हम वैसा ही बन जाते हैं जैसा हम सोचते हैं या जैसा विश्वास रखते हैं। यह हमारा विश्वास ही है जो यह निर्धारित करेगा कि विष मिलेगा या अमृत। इसलिए अपनी सोच यदि सुदृढ़ और सकारात्मक हो तो फल भी सकारात्मक ही आएगा।
चुंबक की तरह ही अपने अंदर भी सारी विशेषतायें विकसित की जा सकती हैं। महान व्यक्तित्वों में इतना आकर्षण होता है कि वे जिस स्थान पर खड़े हो जाते हैं, लोग अपने आप उनके चारों ओर एकत्रित हो जाते हैं। उनके क्रियाकलाप, आचरण, व्यवहार तथा उनके सद्गुण सहज ही साधारण कोटि के व्यक्तियों का मन मोह लेते हैं। एक लोकप्रिय नेता इसका सबसे सफल उदाहरण है। वह जहां भी जाता है, लोग उसका अनुगमन करते हैं। इस दुनिया में हर व्यक्ति एक मानवीय ट्रांसमिशन टॉवर की तरह है और वह अपने विचारों की फ्रिक्वेंसी प्रसारित कर रहा है।

No comments: