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अनंत की ओर बढ़ना ही हमारे जीवन का एकमात्र लक्ष्य

सही मायने में योग का अर्थ है, सीमाओं को मिटाने का विज्ञान। सृष्टि के एक सबसे साधारण जीव से लेकर इंसान तक, सभी अपनी सारी जिंदगी अपने लिए सीमाएं तय करने में लगा देते हैं। इंसान सहित दुनिया का हर प्राणी अपनी चारदीवारी बनाने में जुटा हुआ है। दरअसल लोगों को अपने चारों तरफ कुछ न कुछ चाहिए, वरना उन्हें लगेगा कि वे बेघर हैं। दुर्भाग्य से ज्यादातर लोग इस दुनिया में आराम से नहीं रह सकते, बल्कि उन्हें तो एक कोठरी में रहना पसंद है। उन्हें एक कैद में जीना पसंद है। वे उस विशाल ब्रह्मांड में नहीं रहना चाहते, जो उनके रहने और अनुभव करने के लिए है।
योग का मतलब इंसान को हर संभव तरीके से इस तरह तैयार करना है कि धीरे-धीरे वह अपनी सारी सीमाओं को मिटाकर सरल बन सके। आपको यह समझना होगा कि अगर आप एक चारदीवारी बनाते हैं तो सबसे पहले आपको इसकी सीमा तय करनी होगी, फिर आपको इसकी सुरक्षा भी करनी होगी और इसी में आपकी सारा जीवन निकल जाएगा। इसलिए योग सिखाता है, इन सबसे आजाद होना, अपनी सीमाओं को मिटाना। अगर आप यहां बैठते हैं तो आप सहज रूप से इस ब्रह्मांड में मौजूद होते हैं, आपको अपनी कोई सीमा तय करने की जरूरत नहीं।
शरीर की एक सीमा होती है, तो यह कोई समस्या नहीं है, शारीरिकता का यह मूल गुण है। लेकिन किसी तरह से यह बात आपकी मानसिकता में घुस गई है। अब आपका मन भी एक सीमा चाहता है, आपकी भावनाएं भी एक सीमा चाहती हैं। इस तरह से आपने अपने भीतर इतनी सीमाएं खड़ी कर ली हैं कि आपके भीतर जो असीम-अनंत मौजूद है, उस तक आपकी पहुंच नहीं हो पाती। आप उसे महसूस नहीं कर पाते। चूंकि आप अपना समय, अपनी उर्जा व अपनी सारी बुद्धि अपने आस-पास सीमा खड़ी करने में लगा रहे हैं, इसलिए जो असीम-अनंत है वही आपके अनुभव से गायब हो जाता है। आवश्यकता इस बात की है कि हम अपनी सीमा का विस्तार करें।
यह आपकी करनी और आपके कर्म ही हैं, जिनकी वजह से आप खुद को इस ब्रह्मांड से अलग महसूस करते हैं। आप एक ऐसी जगह पर भी खुद को अकेला पाते हैं, जो इतनी जीवंत और सबको समा लेने वाली है। हम ऐसे व्यक्ति को योगी कहते हैं, जिसने अपने भीतर मौजूद सभी सीमाओं को मिटा दिया है या फिर वह उनसे परे चला गया है। ऐसा करने वाले जो पहले व्यक्ति थे, हम उन्हें आदियोगी कहते हैं। जब आप एक ऐसी जगह पर बैठते हैं जहां आदियोगी की उर्जा प्रतिष्ठित हो, तब धीरे-धीरे आपकी जिंदगी की सारी सीमाएं गिरने लगती हैं और आप उस सीमाहीन अनंत की तरफ बढ़ने लगते हैं। जीवन का एकमात्र लक्ष्य ही यही है।

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